कावेरी इंजन भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति का एक सशक्त प्रतीक है, जो भविष्य के लड़ाकू विमानों और ड्रोन कार्यक्रमों में क्रांति ला सकता है।
कावेरी इंजन क्या है?
Kaveri Engine Kya Hai? – कावेरी इंजन भारत में विकसित किया गया एक टर्बोफैन इंजन है, जिसे DRDO की एक प्रयोगशाला GTRE (Gas Turbine Research Establishment) द्वारा डिजाइन और डेवलप किया गया है। यह इंजन मूलतः LCA तेजस जैसे हल्के लड़ाकू विमानों के लिए बनाया गया था, लेकिन समय के साथ इसके उपयोग को UAVs (Unmanned Aerial Vehicles) और स्टील्थ UCAVs जैसे प्लेटफॉर्म्स के लिए भी प्रस्तावित किया गया है।
यह इंजन भारत की रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल माना जाता है।
विकास की कहानी: 1989 से अब तक की यात्रा
साल 1986 की बात है। भारत ने जब पहली बार अपने लड़ाकू विमान तेजस के लिए स्वदेशी इंजन बनाने का फैसला किया, तो दुनिया के बड़े देशों ने इसे मजाक समझा। आखिर, जिस टर्बोफैन टेक्नोलॉजी पर अमेरिका-रूस जैसे देशों का एकाधिकार था, उसे भारत कैसे चुनौती दे सकता था? लेकिन आज, कावेरी इंजन सिर्फ एक मशीन नहीं, बल्कि भारतीय वैज्ञानिकों के जज्बे की मिसाल बन चुका है। चलिए, इसी जज्बे की कहानी को विस्तार से जानते है।

वर्ष | प्रमुख घटनाक्रम |
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1989 | कावेरी इंजन परियोजना की शुरुआत हुई |
1996-2005 | इंजन परीक्षण, बेंच टेस्ट और तकनीकी सुधार |
2008 | तेजस से इंजन को अलग किया गया |
2010-2020 | SAFRAN और अन्य पार्टनर से टेक्निकल सहयोग |
2022 | Godrej Aerospace को प्रोडक्शन असाइनमेंट |
2024 | इनफ्लाइट परीक्षण की मंजूरी मिली |
क्या भारत वाकई विदेशी टेक्नोलॉजी से आजाद हो पाएगा?
इस सवाल का जवाब ढूँढने में लग गए 30 साल!
DRDO ने इस इंजन को पूरी तरह से भारत में डिज़ाइन किया है, लेकिन इसमें कुछ क्रिटिकल टेक्नोलॉजी में फ्रांस की SAFRAN कंपनी की तकनीकी मदद भी ली गई है।
फ्रांस की कंपनी Safran ने मदद की पेशकश की, लेकिन कोर टेक्नोलॉजी शेयर करने से मना कर दिया। यही वो पल था जब भारत ने ठान लिया – अब खुद बनाएंगे!
पैरामीटर | कावेरी (2004) | कावेरी 2.0 (2024) | GE-F414 (अमेरिका) |
---|---|---|---|
थ्रस्ट (Wet) | 73 kN | 95 kN (लक्ष्य) | 98 kN |
वजन | 1180 kg | 1050 kg | 1100 kg |
कीमत | ₹35 करोड़ | ₹50 करोड़ (अनुमान) | ₹65 करोड़ |
क्या आप जानते हैं? कावेरी 2.0 के ब्लेड्स पर थर्मल बैरियर कोटिंग भारतीय वैज्ञानिकों ने खुद विकसित की है, जो 1500°C ताप सह सकती है!
तकनीकी विशेषताएं: कावेरी इंजन का डेटा एनालिसिस
विशेषता | विवरण |
---|---|
इंजन का प्रकार | Low bypass twin-spool turbofan |
ड्राई थ्रस्ट | 49-51 kN |
आफ्टरबर्नर थ्रस्ट | 73-75 kN |
बायपास अनुपात | 0.16:1 |
कंट्रोल सिस्टम | Full Authority Digital Engine Control (FADEC) |
कुल परीक्षण समय | 3200+ घंटे |
कोर इंजनों की संख्या | 4 |
कुल प्रोटोटाइप इंजन | 9 |
यह इंजन सिंगल क्रिस्टल ब्लेड्स, निकेल बेस्ड सुपर एलॉयज, और हाई टेम्परेचर मटीरियल्स पर आधारित है।

तकनीकी विशेषताएँ
मूल कावेरी इंजन
पैरामीटर | विवरण |
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इंजन प्रकार | ट्विन-स्पूल, लो बायपास टर्बोफैन |
थ्रस्ट (Dry) | 46 kN |
थ्रस्ट (Wet) | 73 kN |
वजन | 1,180 kg |
बायपास अनुपात | 0.16 |
फीचर्स | फ्लैट-रेटेड डिज़ाइन, FADEC सिस्टम, भारतीय जलवायु के अनुकूल |
कावेरी 2.0 इंजन
पैरामीटर | विवरण |
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थ्रस्ट (Dry) | 55-58 kN |
थ्रस्ट (Wet) | 90-100 kN |
वजन | ~1,200 kg (लक्ष्य: 1,000 kg) |
नई टेक्नोलॉजी | सिंगल क्रिस्टल टर्बाइन ब्लेड, पाउडर मेटलर्जी डिस्क, PMC बाईपास डक्ट |
लक्ष्य | GE-F414 (98 kN) के समकक्ष प्रदर्शन |
रणनीतिक महत्व: क्यों ज़रूरी है कावेरी?
- आत्मनिर्भर भारत – विदेशी इंजन पर निर्भरता को कम करना
- टेक्नोलॉजी का विकास – गैस टर्बाइन तकनीक में भारत को बढ़त दिलाना
- डिफेंस एक्सपोर्ट को बढ़ावा – इंडिजेनस इंजन की मदद से निर्यात योग्य विमानों का निर्माण
- स्टील्थ प्रोग्राम के लिए आवश्यक – भविष्य के Ghatak UCAV और AMCA के लिए बुनियादी इंजन
समस्याएं और चुनौतियाँ
- थ्रस्ट की कमी: तेजस जैसे सुपरसोनिक विमानों के लिए आवश्यक थ्रस्ट नहीं मिल पाया।
- वजन और साइज में इन्कॉम्पैटिबिलिटी: हल्के विमानों के लिए इंजन भारी पड़ रहा था।
- हीट मैनेजमेंट इश्यूज़: उच्च तापमान सहने की तकनीक का अभाव।
- लंबा विकास काल: 30+ वर्षों में भी पूर्ण सफलता नहीं मिली।
SAFRAN के साथ पार्टनरशिप
SAFRAN (फ्रांस) ने Kaveri इंजन के पांच यूनिट (K5-K9) का निरीक्षण किया और उन्हें एयरक्राफ्ट टेस्टिंग के लिए उपयुक्त बताया।
SAFRAN के साथ जॉइंट वेंचर से कावेरी इंजन को Mature Technology का दर्जा दिलाने में सहायता मिली है।
Godrej Aerospace का योगदान
2022 में DRDO ने Godrej Aerospace को 8 इंजन के मैन्युफैक्चरिंग का कांट्रैक्ट दिया। इसका मकसद टेस्टिंग और फाइनल वर्जन के लिए प्रोडक्शन क्षमता को मजबूत करना था।
वर्तमान स्थिति: आज कावेरी कहाँ है?
- DRDO कावेरी का एक ड्राई वर्जन तैयार कर चुका है, जिसे घातक स्टील्थ ड्रोन में फिट किया जाएगा।
- इंजन ने In-flight Testing के लिए मंजूरी प्राप्त कर ली है।
- कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, कावेरी इंजन को AMCA Mark-2 में उपयोग करने की योजना भी है।
भविष्य की संभावनाएं
प्लेटफॉर्म | संभावित उपयोग |
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Ghatak UCAV | ड्राई कावेरी वर्जन |
AMCA Mk2 | सुधारित कावेरी 2.0 |
Trainer Aircraft | सीमित रोल्स में संभव प्रयोग |
Export Models | कम लागत वाले ड्रोन और एयरक्राफ्ट्स |
तुलनात्मक विश्लेषण
इंजन | थ्रस्ट (Wet) | वजन | बायपास अनुपात | उपयोग |
---|---|---|---|---|
कावेरी | 73 kN | 1,180 kg | 0.16 | तेजस (प्रोटोटाइप) |
GE-F404 | 85 kN | 1,036 kg | 0.34 | तेजस MK-1 |
GE-F414 | 98 kN | 1,200 kg | 0.35 | तेजस MK-2, AMCA |
क्या कावेरी भारत का सपना पूरा कर पाएगा?

हां, लेकिन धैर्य और तकनीकी सहयोग की आवश्यकता होगी।
कावेरी इंजन एक लंबा सफर तय कर चुका है, और आने वाले कुछ वर्षों में यह भारतीय वायुसेना और रक्षा तकनीक को आत्मनिर्भरता के शिखर पर पहुंचा सकता है। यदि इस दिशा में फोकस बना रहा, तो यह इंजन आने वाले वर्षों में भारत की पहचान बन सकता है।
विशेषज्ञों की राय: क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
डॉ. समीर कामठी (एयरोस्पेस इंजीनियर): कावेरी का सबसे बड़ा योगदान यह है कि इसने हमें टर्बोमैकेनिकल डिज़ाइन का पूरा नॉलेज दिया। अब हम किसी पर निर्भर नहीं!
कर्नल राजीव चौहान (रिटायर्ड): अगले 10 सालों में, कावेरी हमारे 70% लड़ाकू विमानों की धड़कन बनेगी। यह स्टैंडअलोन टेक्नोलॉजी का सबक है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
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कावेरी इंजन किसके द्वारा बनाया गया है?
कावेरी इंजन को DRDO की GTRE (गैस टर्बाइन रिसर्च इस्टैब्लिशमेंट) ने विकसित किया है।
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क्या कावेरी इंजन तेजस विमान में उपयोग होता है?
नहीं, अभी तक कावेरी इंजन तेजस में उपयोग नहीं हुआ है, लेकिन भविष्य के UAVs में इसका उपयोग प्रस्तावित है।
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कावेरी इंजन की थ्रस्ट क्षमता क्या है?
इसका ड्राई थ्रस्ट लगभग 49-51 kN और आफ्टरबर्नर थ्रस्ट लगभग 75 kN है।
स्रोत सत्यापन:
- DRDO की ऑफिशियल रिपोर्ट 2023
- GTRE के प्रेस बयान
- इंडियन डिफेंस रिव्यू मैगज़ीन